अब पेट्रोल 200 से ऊपर होगा? | अब इसकी कीमत बढ़ती जाएगी

आज के समय में पेट्रोल के दाम दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं आप में से बहुत से कैंडिडेट ऐसे होंगे जो यह सोचते होंगे की क्या पेट्रोल का दाम ऐसे ही बढ़ता जाएगा और पेट्रोल का दाम इतना ज्यादा बढ़ने का कारण क्या है? तो आइए जानते हैं आज इसके बारे में हम पूरी जानकारी की पेट्रोल का दाम इतना बढ़ता क्यों जा रहा है और इससे रिलेटेड पूरी जानकारी देने वाले हैं.

पेट्रोल का दाम इतना ज्यादा बढ़ने का कारण क्या है?

पेट्रोल का दाम इनता ज्यादा बढ़ाने में सिर्फ केंद्र सरकार और राज्य सरकार ही शामिल नहीं है बल्कि कुछ विदेशी संगठन भी शामिल हैं ये तो आप सभी लोग भी जानते हैं कि पेट्रोल डीजल किसी देश के लिए कितनी ज्यादा जरूरी होता है और भारत में तो पूरी जीडीपी, पूरी अर्थव्यवस्था इसी पेट्रोल डीजल पर ही निर्भर है अगर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ेंगे तो खाने पीने की चीजों के दाम बढ़ने लगेंगे लगभग हर चीजों के दाम धीरे धीरे बढ़ते जायेंगे.

पेट्रोल और डीजल की शुरुआत कुछ ऐसे देशों से होती है जहाँ से कच्चा तेल निकाला जाता है और इसी कच्चे तेल को भारत देश खरीदता है भारत में मौजूद 23 रिफाइनरीज़ में इसे कच्चे तेल से पेट्रोल डीजल और कई तरह के पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स तैयार किये जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है की इस कच्चे तेल के दाम को कौन तय करता है पूरी दुनिया में यूनाइटेड स्टेट, रसिया, सऊदी अरेबिया ऐसे कई देश हैं जहाँ से कच्चा तेल निकाला जाता है और इसे रेगुलेट करने का काम OPEC (Organization of the Petroleum Exporting Countries) करता है OPEC एक ऐसा संगठन है जिसमें 24 देश आते हैं वो देश जहाँ से कच्चा तेल जमीन के अंदर से निकलता है वो कच्चे तेल के दाम तय करती है इसी कच्चे तेल से पेट्रोल, और डीजल जैसी सारी चीज़े बनती है इसीलिए अगर इस तेल के दाम में बदलाव आता है तो पेट्रोल और डीजल जैसी चीजों के दाम भी बढ़ते रहते हैं.

कोविड के समय से पहले कच्चा तेल $75 प्रति बैरल मिल रहा था जिसमें एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है लेकिन जैसे ही लॉकडाउन लगा वैसे इस कच्चे तेल के दाम को $20 प्रति बैरल तक नीचे गिर गया क्योंकि दुनिया भर में इससे लॉकडाउन की वजह से गाड़ियाँ चलना एकदम कम हो गयी थी जिससे तेल कंपनियों को काफी ज्यादा नुकसान होने और कच्चे तेल के दाम घटने लगे उन्होंने अपना प्रोडक्शन भी कम कर दिया लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुला उसके बाद OPEC की एक बैठक हुई.

जिस्म संगठन से जुड़े देशों ने आउटपुट पैक्ट प्रपोजल सामने रख दिया इस आउटपुट पैक प्रपोजल में कहा गया कि इससे जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई करने के लिए अगले दो सालों तक कच्चे तेल के दामों को बढ़ाया जाएगा यह बैठक 2020 में हुई थी. उसके बाद से ही पेट्रोल डीजल के दाम भी बिल्कुल कच्चे तेल के दाम की तरह लगातार बढ़ते जा रहे हैं लेकिन फिर जब संगठन से जुड़े देशों को समझ में आया की वो कच्चे तेल के दाम कंट्रोल कर सकते हैं और कंट्रोल करने के बाद अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं तब उन्होंने इस प्रपोजल को 6 महीने और बढ़ा दिया है मतलब कि 2022 के अंत तक लगातार कच्चे तेल के दाम बढ़ते रहेंगे और इसका पैसा आपकी जेब से लिया जायेगा.

आज के समय में एक बैरल कच्चे तेल की कीमत $111 प्रति बैरल तक पहुँच चुकी है क्या आपको पता है कि पेट्रोल और डीज़ल रिफाइनरी से निकलने के बाद कितने रुपये का पड़ता है. पेट्रोल डीजल जब रिफाइनरी से निकलता है तब इसकी कीमत लगभग 30 से 32 रूपये तक होती है इसके बाद रिफाइनरी का कॉस्ट और सारी चीजों को मिलाकर इस पेट्रोल डीजल की कीमत 40 से 45 रूपये तक पहुँच जाती है और 40 से 45 रूपये में आपका पेट्रोल डीजल बनकर तैयार कर दिया जाता है.

लेकिन इसके बाद इसमें भारत सरकार की इंटरनल पॉलिटिक्स की बारी आती है सबसे पहले इसमें केंद्र सरकार 37% टैक्स आपकी जेब से वसूलती है इसके बाद जब ये पेट्रोल डीजल आपके राज्य तक पहुंचता है तो आपकी राज्य सरकार इसमें वैट (VAT- Value Added Tax) लगा देती है जो 23% होता है फिर यही पेट्रोल डीजल है जो आपको ₹40 में मिल रहा था अब आपको ₹120 में मिलने लगता है.

इस बात को समझने के लिए आप एक बार पुराने आंकड़े पर ध्यान दीजिये माना कि रिफाइनरी से निकलने के बाद डीजल की कीमत 29 और पेट्रोल की कीमत 30 रूपये है इसके बाद इसमें फ्रीट चार्जेस लगा दिए जाते हैं जो लगभग 37 से 34 पैसे होते हैं फिर सेंट्रल गवर्नमेंट इसमें 32 से 40 रूपये का टैक्स लगा देती है उसके बाद इसमें 4 रूपये का डीलर कमीशन होता है राज्य सरकार इसमें 19 से 20 रूपये तक अतिरिक्त टैक्स लगा देती है इस हिसाब से उस वक्त पेट्रोल 86 रूपये प्रति लीटर के हिसाब से बिकता था लेकिन आज OPEC, सेंट्रल गवर्नमेंट, स्टेट गवर्नमेंट इन सभी ने तेल के दामों को और टैक्स को बढ़ा दिया है जिसकी वजह से आज बाजार में तेल इतना महंगा बिक रहा है और जनता महंगा तेल डालने पर मजबूर हो गयी है आइये जानते हैं कि इस टैक्स में किस तरह से बढ़ोतरी हुई है इस बात को समझने के लिए एक बार जरा साल 2014 के एक आंकड़े को देख लेते हैं दिल्ली में रिफाइनरी से निकलने के बाद पेट्रोल की बेस कीमत 45 रूपये थी लेकिन 2021 में इसी पेट्रोल की बेस कीमत 29 रूपये तक हो गई थी

लेकिन फिर भी हमारी सरकार ने पेट्रोल के दाम कम करने की जगह इसमें 37% टैक्स और बढ़ा दिया. जहाँ राज्य सरकार 2014 में 18% वैट ले रही थी उसने 2021 में इस टैक्स को बढ़ाकर 23% कर दिया और सेंट्रल गवर्नमेंट ने 2014 में जो 16% टैक्स ले रही थी उसे बढ़ाकर 37% कर दिया गया है ये सारी चीज़े तुर्रंत नही हुई है बल्कि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने 2020 में इसके लिए एक बिल पास करवाया था जिसमें कहा गया था कि पेट्रोल डीजल में लगने वाले टैक्स को बढ़ाया जाए और ये बिल पास कर दिया गया था. एक रिसर्च से पता किया गया कि अगर पेट्रोल डीजल के दामों को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो इससे सेंट्रल गवर्नमेंट को 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा और राज्य सरकार को 30 हजार करोड़ का नुकसान होगा.

अब सवाल ये है कि आखिर केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस तरह से लोगों की जेब काट रही है तो इसका कारण यह है कि हमारे भारत देश में लोगो को मुफ्त चीजें ज्यादा पसंद आती है. फ्री बिजली, लैपटॉप वितरण, मोबाइल वितरण, फ्री का पानी, बिजली में सब्सिडी, सिलेंडर में सब्सिडी, सरकारी योजनाएं बनाकर कुछ इस तरह से लोगों को मुफ्त की चीजें बांटी जा रही है लेकिन आपको पता है कि न सभी चीजों के लिए सरकार अपनी जेब से पैसे नही देती है है ये सारा पैसा सरकार आप जनता से ही वसूलती है. जब पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते हैं तो उसके साथ साथ हर चीज़ के दाम बढ़ने लगते हैं हर चीज़ में टैक्स की बढ़ोत्तरी होती है और आपको ऐसा लगता है कि सरकार द्वारा आपके लिए सब कुछ किया जा रहा हैं.

इसी इंटरनल पॉलिटिक्स की वजह से आज पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं और आम जनता की जेबें काटी जा रही है.

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