अगर मैं बिना स्पेससूट के चांद पर 30 सेकेंड बिताऊं तो क्या होगा?

दोस्तों क्या आपको पता है कि अगर आप बिना स्पेससूट के चांद पर 30 सेकंड तक रहेंगे तो क्या होगा अगर नही, तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े क्युकी आज हम आपको बिना स्पेससूट के चाँद पर 30 सेकंड बिताएंगे तो क्या होगा इससे रिलेटेड पूरी इनफार्मेशन देंगे.

अगर मैं बिना स्पेससूट के चांद पर 30 सेकेंड बिताऊं तो क्या होगा?

आज के समय में ज्यादातर देश मार्स सहित चाँद पर भी जीवन की तलाश में लगे हुए है जिससे किसी प्लैनेट पर हमें लाइफ मिले और उस प्लेनेट पर भी लोग रहना शुरू करें और जुलाई 1969 को दुनिया से पहली बार चाँद पर अमेरिका द्वारा अपोलो एयरक्राफ्ट लैंड होने में सक्षम रहा है और नील आर्मस्ट्रांग ने पहली बार चाँद पर कदम रखा. वो ऐस्ट्रनॉट 80-80kg के स्पेससूट पहने हुए थे जिसकी मदद से वो चाँद पर घूम कर आसानी से पृथ्वी पर आ गए थे. आज का दौर साइंस और टेक्नोलॉजी का दौर माना जाता है जहाँ टेक्नोलॉजी के लिए सब कुछ लगभग नामुमकिन सा ही है लेकिन इस समय में भी अगर आप चाँद पर बिना स्पेससूट पहने एक कदम भी रखते हैं तो ये आपके लिए खतरे से कम नही होगा,

आप जैसे ही चाँद पर पहला कदम रखेंगे तो आपकी आँखों के सामने सिर्फ और सिर्फ काला अंधेरा दिखाई देगा वहां पर ऑक्सीजन ही नहीं है सांस लेने के लिए ऑक्सीजन सिर्फ हमारी पृथ्वी पर है क्योंकि अर्थ के पास खुद का एटमोस्फेयर (Atmosphere) है और बिना ऑक्सीजन के आप सांस ले नहीं पाएंगे साथ ही साथ आपके ब्लड में जो ऑक्सीजन होगी उसकी मदद से आप सिर्फ 15 से 20 सेकंड तक ही जिंदा रह पाएगी क्योंकि जैसे ही आपके ब्लड में मौजूद ऑक्सीजन खत्म होगी वैसे ही आपके ब्रेन में मौजूद सेल्स धीरे-धीरे मरते जाएंगे और आपकी बेहद दर्दनाक मौत हो जाएगी.

हमारी पृथ्वी को वायुमंडल वातावरण ने हर जगह से कवर करके रखा है और इस वायुमंडल का हमारे पृथ्वी पर मौजूद हर चीज़ के ऊपर बहुत ही भयंकर दबाव पड़ता है लेकिन ह्यूमन सिविलाइज़ेशन की शुरुआत से ही  मानव शरीर को इस दबाव झेलने की आदत हो गयी है यही कारण है कि इंसान पृथ्वी के वातावरण के दबाव को जान नहीं पाते. लेकिन जब आप जैसे ही चाँद के ऊपर जाएंगे वहाँ पर तो आपको कोई भी वायुमंडल नहीं मिलेगा इतने बड़े बदलाव को हमारी बॉडी अडॉप्ट नहीं कर पाई जिसके कारण हमारी बॉडी से नाइट्रोजन बबल के रूप में बाहर निकलने लगेगी और आपकी बॉडी गुब्बारों के जैसे फूलने लगेगी लेकिन आपकी बॉडी गुब्बारे की तरह फटेगी नहीं क्योंकि हमारी बाहरी चमड़ी हमारे शरीर को फटने से बचा लेगी, लेकिन इस हालत में अगर आपने सांस रोकने की कोशिश की तो आपके लंग्स फट सकते हैं ऐसे में थोड़ी देर और जिंदा रहने के लिए आपको कांटीन्यू साँस को छोड़ते रहना होगा,

ऐसा इसलिए क्योंकि चाँद पर बॉडी ऐसा फील करती है मानव समुद्र की गहराई जब पानी का प्रेशर उसकी बॉडी पर पड़ रहा हो, चाँद पर वायुमंडल कम होने के कारण आप चाँद पर एक बूंद पानी भी रखेंगे तो वह भी भाप बनकर उड़ जायेगा. चाँद पर पानी को भाप बनने के लिए 100 डिग्री सेल्सियस होना जरूरी नहीं है अगर आप चाँद पर बिना स्पेससूट के हैं तो आपकी आँखों का पानी भाप बन जाएगा लेकिन बॉडी के अंदर मौजूद ब्लड बच जाएगा क्योंकि हमारा ब्लड ब्लड वैसल्स के अंदर दौड़ता है ये बात तो आपको भी पता होगी कि इंसानों को जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन के साथ-साथ टेम्परेचर भी जरूरी होता है क्योंकि इंसान ना तो ज्यादा टेम्परेचर को सह सकता है और न ही कम टेम्परेचर को.

चाँद पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो चाँद के एवरेज टेम्परेचर जहाँ 127 डिग्री सेल्सियस होता है और वही रात के समय में चाँद का एवरेज टेम्परेचर  माइनस (-)173 डिग्री सेल्सियस हो जाता है इसके बाद अब आप सोच सकते हैं कि अगर इंसान बिना स्पेससूट के चाँद पर जायेगा तो उसका क्या हाल होगा, अगर दिन में जायेगा तो जल जायेगा लेकिन अगर गर्मी से बचने के लिए रात में जायेगा तो ठंडी की वजह से जमकर बर्फ़ का टुकड़ा बन जाएगा. चाँद का 1 दिन होता है वो धरती के उन 29 दिनों के बराबर होता है हमारी धरती पर ओजोन लेयर की परत है जिसके कारण सूरज की किरणों से बने कोई समस्या नहीं होती.

वही चाँद के पास खुद की कोई ओजोन लेयर नहीं है जिसके कारण सूरज की यूवी रेश सीधा आपके शरीर पर आएगी और आप जल जाएंगे, इसके साथ ही चांदी का जो ग्रेविटेशनल फोर्स है वो धरती की तुलना में चाँद पर आपको अपना वेट बहुत ज्यादा हल्का महसूस होगा. अगर अपने नील आर्मस्ट्रांग चाँद पर गये थे तो उस टाइम उन्होंने 80kg का स्पेस सूट पहन रखा था साथ ही उनकी बॉडी का वेट भी कुछ रहा होगा फिर भी वो चाँद पर कूद- कूद कर चल रहे थे जैसे ही आप चाँद पर उतरेंगे आपको चाँद पर बहुत सारे गड्डे दिखाई देंगे. ये गड्ढे पहले से नही थे बल्कि ये Meteor के टकराने के कारण हो गये है चाँद पर हर वक्त meteor गिरने का खतरा बना रहता है और ये meteor छोटे और बड़े दोनों तरह के होते हैं

साल 2014 में एक साइंटिस्ट ने चाँद पर meteor गिरने की फोटो कैप्चर की थी और रिसर्च के बाद पता चला कि वो मेट्योर 400 किलो का था ये बात जानकर आप भी हैरान रह जायेंगे, हर 11 साल में सूरज में कई तरह की ऐक्टिविटी होती रहती है इस कारण बहुत मात्रा में गामा रेडिएशन निकलती है हालांकि रेडिएशन अर्थ के ऑपोजिट होती है इस कारण से आप पर इसका इफ़ेक्ट नहीं पड़ता लेकिन अगर ये रेडिएशन सूरज का तूफान चाँद पर आया तो आपको जलाकर खाक कर देगा, और चाँद पर मौजूद धूल भी काफी हानिकारक है क्योंकि चाँद पर हवा नहीं, इसी कारण वहाँ की धूल एक जगह इकठ्ठा रहती है बिना स्पेससूट के धूल आपके पैरों को जकड़ने लगेगी.

चाँद की धूल में  सोलरविन पार्टिकल्स भी मौजूद होते हैं जिसमें पॉज़िटिव इलेक्ट्रिक चार्ज होता है लेकिन ये धूल अगर आपकी बॉडी पर लगती है तो आपके शरीर में खुजली भी हो सकती है और यही धूल अगर आपकी आँखों में जाती है तो आपको आँखों की प्रॉब्लम हो सकती है. इन सभी चीजों के बाद भी अगर आप चाँद पर 30 सेकंड तक जिंदा रह गए हैं और अगर आप करते-करते 90 सेकंड तक जिन्दा रह गये तो ह्यूमन सिविलाइज़ेशन के लिए बहुत बड़ी बात साबित होगी और आप इस बात को साबित करने में सक्षम हो जाएंगे सिर्फ मार्स पर ही नहीं बल्कि चाँद पर भी कुछ मॉडिफिकेशन करके हम इंसान चाँद पर काफी आसानी से रह पाएंगे

आप जिन्दा रहे या नहीं लेकिन आप के बलिदान के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है आज तक चाँद पर सिर्फ 12 लोग ही गए वो भी साल 196 से 1972 के बीच नासा के अपोलो मिशन के दौरान ही गए हैं लेकिन 1972 से अभी तक चाँद पर कोई नहीं गया है नासा का कहना है कि साल 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में वो लोगों को चाँद पर भेजेगी जिसकी तैयारी काफी ज़ोर-शोर से आज चल रही है.

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