इंडियन फार्मर एंड यूरोपियन फार्मर में क्या अंतर होता है?

Indian Farmers and European Farmers in hindi- इंडिया में फार्मर की लाइफ बहुत कठिन होती है बहुत कम पैसे में उन्हें बहुत ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ती है लेकिन इन्हीं फार्मर्स की वजह से आप सभी लोग घर बैठे दाल और चावल खा पा रहे हैं, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको इंडियन फार्मर और यूरोपियन फार्मर के बीच का अंतर बतायेंगे.

इंडियन फार्मर की हिस्ट्री क्या है?

इंडिया में एग्रीकल्चर की शुरुआत लगभग 9000 BC के नार्थ- वेस्ट रीज़न में हुई थी, इंडिया को जब 1947 में आजादी मिली उसके बाद इंडिया की इकॉनमी रिच होने लगी और मिडिल क्लास कंस्यूमर्स में डेरी, फ्रूट्स, फिश, मीट और वेजिटेबल्स की वैल्यू तेजी से बढ़ने लगी, और इसी तरह धीरे-धीरे फार्मिंग में नई-नई टेक्नोलॉजी का यूज किया जाने लगा, जिसेसे 1991 में रिवोल्यूशन ऑफ़ हाई क्रॉप वैल्यू हुआ इसमें सभी डेरी प्रोडक्ट्स की वैल्यू काफी ज्यादा बढ़ गयी इसका मुख्य कारण इंडिया की बढ़ती जनसंख्या भी थी जनसंख्या बढ़ने के कारण कंस्यूमर भी बढ़ गये, इसके बाद गवर्नमेंट ने बहुत सारे एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट्स बनाये जिससे किसानों को काफी मदद मिल सके.

2003-4 की रिपोर्ट्स के अनुसार इंडिया का 22% जीडीपी और 58% वर्क फ़ोर्स एग्रीकल्चर में ही है.

यूरोप फार्मर की हिस्ट्री क्या है?

वही यूरोप में फार्मिंग की शुरुआत 8,500 साल पहले तुर्की में हुई थी  जो धीरे-धीरे फ़्रांस, ब्रिटेन, और आयरलैंड तक पहुंच गया, लोगो में माइग्रेशन के कारण यूरोप में बहुत जल्दी फार्मिंग बढ़ गयी. फार्मिंग बढ़ने के कारण फ़ूड, और वेजिटेबल अवेलेबल होने लगा, जिससे वहां की पोपुलेशन भी बढ़ने लगी.

इंडियन फार्मर एंड यूरोपियन फार्मर में क्या अंतर होता है?

नंबर ऑफ़ फार्मर्स

इंडिया की ऑफिसियल रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडिया में फार्मर्स की संख्या 100-150 मिलियन के लगभग है, 2018 में एग्रीकल्चर से 50% से ज्यादा जनसंख्या को एम्प्लोयमेंट मिला और इसका जीडीपी में 17-18% कॉन्ट्रिब्यूशन है.

और वही यूरोप में 2016 तक लगभग 10.5 मिलियन फर्म्स है जिसमे ज्यादातर फॅमिली फर्म्स है यूरोप के लगभग 17% लैंड में एग्रीकल्चर होता है लेकिन डाटा के मुताबिक यूरोप में फार्मर्स की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है इसका मुख्य कारण क्लाइमेट चेंज होना है जिसकी जगह से कई जगहों पर एग्रीकल्चर प्रोडक्शन रिड्यूज हो गया है.

स्टेट्स विथ मोस्ट फार्मर्स

इंडिया के वेस्ट बंगाल में सबसे ज्यादा फार्मर्स हैं ये स्टेट राइस और जूट का लार्जेस्ट प्रोड्यूसर है इसके बाद और स्टेट्स हैं उत्तर प्रदेश जो टॉप क्रॉप प्रोड्यूसिंग स्टेट है और सुगर और गेहूं का लार्जेस्ट प्रोड्यूसर है असम में सबसे ज्यादा टी फार्मर्स है केरला में सबसे ज्यादा रबर प्रोड्यूसिंग फार्मर्स है और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा पल्सेस प्रोड्यूस करने वाले फार्मर्स हैं.

वही यूरोप के सेल्स बिग आस्टेरियन रीज़न में 2016 से लगभग 51.8% लैंड पे आर्गेनिक फार्मिंग होती है जो यूरोप का 7.1% प्रोडक्शन है इसके अलावा फ़्रांस में 16.8% फर्म्स है और इटली में 14.2%, जर्मनी में 13.5% और स्पेन में 10.5% लैंड में फार्मिंग होती है.

मोस्ट प्रोड्यूसिंग फ़ूड आइटम्स

पूरे वर्ल्ड में इंडिया सुगर का लार्जेस्ट प्रोड्यूसर है इंडिया लगभग हर साल 21 मिलियन टन सुगर प्रोड्यूस करता है इसके साथ ही इंडिया जूट का सेकंड लार्जेस्ट प्रोड्यूसर भी है और कॉटन का थर्ड लार्जेस्ट प्रोड्यूसर है इंडिया में सबसे ज्यादा एरिया राइस कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए यूज किया जाता है लगभग 32.5 मिलियन हेक्टस. ये पिछले साल की तुलना में 17% एरिया कम है इसके कम होने का मुख्य कारण है कम बारिश होना और काफी क्षेत्रो में सूखा जैसी स्थिति आ जाना. इंडिया राइस का सेकंड लार्जेस्ट प्रोड्यूसर भी है.

वही यूरोप के डाटा के अनुसार 2019 में लगभग 299 मिलियन टन सीरीज प्रोड्यूस किये, जिसमे से गेहूं, मक्का, पार्ले और भी कई चीजें है इसमें से सिर्फ गेहूं 115.5 टन है जो सबसे ज्यादा है.

सैलरी ऑफ़ फार्मर्स

इंडिया में एक फार्मर की सैलरी काफी कम होती है एवरेज बेस एक नार्मल एग्रीकल्चर हाउस जिसमे 5 मेम्बर्स हैं उनकी अनुअल सैलरी 79,000 पर इयर की होती है मतलब कि 221 रूपये पर डे होती है.

वही यूरोप में फार्मर्स का एवरेज इनकम 2007 से 2018 तक बढ़ा है 2018 की रिपोर्ट्स के अनुसार यूरोप में फार्मर्स की एवरेज इनकम अनुअली 35,300  से लेकर 22,500 eurons तक मतलब कि लगभग 29,46,374 रूपये से लेकर 18,78,000 रूपये पर इयर तक है.

यूरोप के फार्मर्स की इनकम इंडिया के फार्मर्स की इनकम की तुलना में काफी ज्यादा है इसका मुख्य कारण कम जनसँख्या और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना है.

फ्यूचर प्लान्स इन एग्रीकल्चर

इंडिया में (Indian Farmers and European Farmers in hindi) भी अब नई-नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने लगा है जिससे धीरे-धीरे एग्रीकल्चर का सेक्टर डेवेलोप हो रहा है न्यू टेक्नोलॉजी जैसे- सेंसर्स, लोकेशन डाटा, जीपीएस, सेटेलाइट्स और रोबोटिक्स. एग्रीकल्चर में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस को भी धीरे-धीरे जोड़ने की कोशिश की जा रही है.

वही यूरोप (Indian Farmers and European Farmers in hindi) के कॉमन एग्रीकल्चर पालिसी (CAP) ने यूरोप के एग्रीकल्चर में इकोनॉमिक्स, एनवायरनमेंटल, और सोसाइटल, नीड को शुरू करने के लिए मॉडलाइज्ड और सिम्प्लीफाइज्ड अप्रोच लिया है जिसमे वो फ्यूचर के लिए बायोडाइवर्सिटी को प्रिजर्व करते हैं और एग्रीकल्चर प्रोडक्शन बढ़ाने की भी कोशिश करते हैं.

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